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अप्रैल 26, 2023 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं
 बदलाव की राह छोड़ बदले की भावना से कारवाई करती केंद्र की सरकार  भारत में जब भी कोई राजनीतिक दल बहुमत में आता है तब लोगों में एक बड़ी उम्मीद दिखाई देती हैं कि वाकई अब अच्छा काम देखने को मिलेगा । हम देश की जनता का यह भ्रम बहुत बार टूटता जाता है जब बहुमत वाली सरकारें पक्ष -विपक्ष में भेद रखते हुए काम करती हैं । बहुमत वाली सरकारें चाहती हैं संसदीय कार्यवाही में उनका ही एकाधिकार रहे और वो भी दीर्घकालिक हो ऐसा करने के लिए वो खरीद फरोख्त का सहारा लेती हैं।  विधायकों को खरीदने के लिए अनेक प्रलोभन , अकूत धन दौलत , राजनीतिक लाभ और भ्रष्टाचार से बचाव के हथकंडे अपनाए जाते हैं । हालिया खबरों पर ध्यान दें तो ईडी , सीबीआई और इनकम टैक्स विभाग के माध्यम से सरकार ने विपक्षियों को जिस तरह से परेशान कर रखा है स्पष्ट है कि विपक्ष को निष्क्रिय करके सरकार लम्बे समय तक सत्ता में काबिज रहना चाहती है। ऐसे में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और यूपीए अध्यक्ष रही सोनिया गांधी को ईडी कार्यालय बुलाएं जाने पर कांग्रेसियों ने दिल्ली में भारी विरोध प्रदर्शन कर चिंता जाहिर की हैं । भारत के लोकतंत्र...

मानवजनित आपदाओं की पुनरावृत्ति - युद्धों की बारंबारता से बढ़ा देश में संघर्ष

  मानवजनित आपदाओं की पुनरावृत्ति - युद्धों की बारंबारता से बढ़ा देश में संघर्ष  "तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आज़ादी दूंगा " नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के इस कथन को‌ हम कैसे देखते हैं , कोई सोचता है खून देना है , कोई सोचते हैं बलिदान देना हैं , कोई कहते हैं अंग्रेजों से लोहा लेना है , तो कोई कहते हैं नेताजी के साथ खड़ा होना है । अलग -अलग विचारों का पुंज मिलकर अनेक विचारधाराओं को जन्म होता है । हमारा भारत देश आज़ाद हुआ तब चुनौतियां कोई एक सी नहीं थी , देश की बढ़ती जनसंख्या , उनका भरण पोषण और नीति निर्धारण , राष्ट्र को गति देना बिल्कुल भी आसान काम नहीं रहा होगा। मुश्किल दौर से गुजरने के लिए हजारों -लाखों लोगों ने इस देश को अपनी पूरी ताक़त से खड़ा किया क्योंकि अंग्रेजों के दिए दंश यूं ही जमें पड़े थे। वह दौर तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के लिए चुनौतीपूर्ण दौर था , एक तरफ़ देश को खड़ा करें दूसरी चीन का आक्रामक रवैया भारत के लिए एक बड़ी मुश्किल लेकर तैयार था। समय की सूझबूझ ने उन घावों को भरने का प्रयास ज़रूर किया हैं , देश आज तेजी से विकास की ओर प्रगतिशील हैं । देश के पू...

आज़ादी के 75 वर्ष बाद भी आदिवासी बोलियों और भाषाओं पर काम नहीं ?

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  आदिवासी बोलियां और भाषाओं पर बात करने से पहले हमें यह जान लेना बहुत जरूरी है की राजस्थान में कितनी जनजातियां हैं , जहां-जहां पर वो जनजातियां निवासरत है। राजस्थान में जो मुख्य आदिवासी जनजातियां हैं उनमें मीणा, भील गरासिया सहरिया , डामोर , कथोड़ी, सांसी (भरतपुर) । इनमें सहरिया किशनगंज और शाहबाद तहसीलों में पाई जाती है और यह आदिम जनजाति है । राजस्थान में भाषाओं का वर्गीकरण देखें तो एलपी टेस्सी टोरी ने भाषाओं को बहुत ही गंभीरतापूर्वक वर्गीकृत किया है ‌। हमें यह जानना जरूरी है किस संभाग में कौनसी आदिवासी जनजातियां , किन किन बोलियों और भाषाओं को बोलती है और उनका मूल उत्पत्ति स्थान राजस्थान में कहां पर रहा है ? मीणा जनजाति की बात करें क्योंकि पूरे राजस्थान में सबसे ज्यादा मीणाओं की आबादी है ‌ । इतनी बड़ी जनजाति की कोई अपनी भाषा नहीं होगी या बोली नहीं होगी यह कहना गलत होगा , क्योंकि कोई जनजाति अपनी बोली और भाषा के बिना अपना साहित्य और संस्कृति आज तक कैसे लेकर आयी होगी ? मीणाओं की मीणी बोली या भाषा जिनमें ये आदिवासी जनजाति जिनमें उनके लोक संतों, लोक कवियों का बड़ा योगदान है। मीणा जनजाति क...