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1 मई मजदूर दिवस और मधु लिमए की 100 वीं जयंती पर उदयपुर में हुआ आयोजन?

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सत्ता ने भूख को शोषण का हथियार बनाया । 1 मई मजदूर दिवस व समाजवादी नेता मधु लिमए की 100 वी जयंती को समारोह पूर्वक मनाया गया इस अवसर पर मजदूर आंदोलन के समक्ष चुनौतियो विषय एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया । समता संवाद पिछले तीन दशक से गैर बराबरी के विरुद्ध जागृति हेतु प्रयासरत रहते हुए जन विमर्श में आम जन के विषयों पर नियमित पाक्षिक संवाद आयोजन करते है। समता संवाद के डॉ भरत सिंह राव ने बताया कि संवाद कार्यक्रम में मजदूर आंदोलन ओर वर्तमान चुनोतियाँ विषय बोलते हुए वक्ताओं ने कहा कि वर्गिय चेतना के अभाव के चलते मजदूरों में अपने हितों की रक्षा के नाम पर गलत लोगों के जाल में फंसकर अपना शोषण करवाने को मजबूर हैं। उपस्थित सभी वक्ताओं ने कहा कि वर्तमान केंद्र और राज्य सरकारों का चरित्र और सोच मजदूर विरोधी है ।कार्यक्रम मै अर्जुन देथा, सुधिर कटियार, अरुण व्यास, शंकर लाल चौधरी, डॉ फरहत बानू, डॉ सुधा चौधरी,. राम चंद्र सालवी,शेलेंद्र ढड्ढा ने अपने व विचार व्यक्त किए । कार्यक्रम की अध्यक्षता हिम्मत सेठ ने की तथा पियूष जोशी ने आभार व्यक्त किया।

मजदूर किसान हक संगठन ने कुछ इस तरह मनाया मई दिवस ? जानिए पूरी खबर

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खबर :  खेरवाड़ा :- मई दिवस के अवसर पर संघर्ष में एक दूसरे की लड़ाई में साथ देने, हर खेत को पानी, हर बेरोजगार को सम्मानजनक व स्थाई रोजगार , कुक कम हेल्पर को न्यूनतम मजदूरी, मनरेगा में साल.. मजदूर दिवस पर विशाल रैली  ..भर काम और 600 रूपये मजदूरी, 26000 रूपये मासिक न्यूनतम मजदूरी, केटलशेड के भ्रष्टाचारियों को गिरफ्तार कराने की लड़ाई का संकल्प लिया गया। ये संकल्प मई दिवस पर आयोजित सभा व जुलूस का समपन करते हुए जनवादी मजदूर यूनियन के संरक्षक डी. एस. पालीवाल ने दिलाया जिसका हाथ उठाकर महिलाओं व पुरूषों ने समर्थन किया। पालीवाल ने कहा कि मजदूरों की मेहनत और जल, जंगल, जमीन और खनिज को लूट कर धनपति अपनी कोठिया भर रहे हैं। किसान को उसकी फसल का पूरा मोल नहीं मिल रहा है। हर घर में बेरोजगार हैं और सरकारी विभागो, स्कूलों व महाविद्यालयों में पद खाली पड़े हैं तथा युवाओं को संविदा और ठेके पर लगाकर नाम का वेतन दिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि पुलिस, सेना और न्यायालय के द्वारा गरीब जनता के हकों को कुचला जा रहा है। पालीवाल ने कहा कि जब तक मेहनतकशों की सत्ता नहीं आती मजदूर , किसान, युवा, विद्यार्थ...

भारत बंद के समर्थन में महामहिम राष्ट्रपति के नाम दिया ज्ञापन ?

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 राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग मोर्चा, शाखा करौली की तरफ से ओबीसी की जाति आधारित जनगणना आदि राष्ट्रीय मुद्दों पर 30 अप्रैल 2023 को भारत बंद के समर्थन में ADM जिला करौली को महामहिम राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन देते हुए राष्ट्रीय मुद्दे --- 1. बीजेपी सरकार द्वारा जानवरों की गिनती करना, मगर जाति आधारित जनगणना और ओबीसी की जाति आधारित जनगणना न करना । 2. ईवीएम घोटाले के विरोध में । 3. निजी क्षेत्रों में एससी, एसटी, ओबीसी को आरक्षण/जन संख्या के अनुपात में प्रतिनिधित्व लागू किया जाए । 4. किसानों को एम एस पी गारंटी कानून लागू किया जाए । 5. एन आर सी/ एन पी आर/सीएए के विरोध में । 6. पुरानी पेंशन स्कीम लागू किया जाए ।  7. विकास के नाम पर, पर्यावरण संरक्षण के नाम पर एवं जानवरों के संरक्षण के नाम पर आदिवासियों को उ नके जल, जंगल और जमीन से विस्थापित करने के विरोध में । 8. लाकडाउन में चुपके से मजदूरों के खिलाफ बनाये गये श्रम कानूनों के विरोध में। 9. रिजर्वेशन इम्पलीमेन्टेशन ऐक्ट बनाया जाये तथा एस सी, एस टी, ओबीसी का बैकलॉग तत्काल प्रभाव से भरा जाए। 10. एससी, एसटी, ओबीसी छात्रों की रोकी गई स्कालरशिप तत्का...

समवेत पत्रिका के 20वें अंक और संस्थान की वेबसाइट का विमोचन समवेत ध्वनि

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 समवेत पत्रिका के 20वें अंक और संस्थान की वेबसाइट का विमोचन  समवेत ध्वनि संस्थान, उदयपुर की पत्रिका के 20वें अंक और संस्थान की वेबसाइट का लोकार्पण समारोह सुखाड़िया विश्वविद्यालय के सामाजिक विज्ञान एवं मानविकी महाविद्यालय के सभागार में हुआ। पत्रिका के संपादक डॉ. नवीन नंदवाना ने बताया कि कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आई.वी. त्रिवेदी ने की। इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय के अधिष्ठाता स्नातकोत्तर अध्ययन प्रो. नीरज शर्मा थे। लोकार्पण समारोह में विशिष्ट अतिथि प्रो. सी.आर. सुथार, अधिष्ठाता, सामाजिक विज्ञान एवं मानविकी महाविद्यालय, प्रो. प्रदीप त्रिखा, मानविकी संकाय अध्यक्ष, प्रो. सुरेंद्र कटारिया, सामाजिक विज्ञान संकाय अध्यक्ष, प्रो. हेमंत द्विवेदी, दृश्यकला संकाय अध्यक्ष और हिंदी विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. माधव हाड़ा थे।   कार्यक्रम में ऑनलाइन माध्यम से अध्यक्ष के रूप में बोलते हुए कुलपति प्रो. त्रिवेदी ने कहा कि शोध पत्रिकाएँ विश्वविद्यालयों में अपनी महती भूमिका रखती हैं। समवेत का निरंतर प्रकाशन और प्रसार...