मानवजनित आपदाओं की पुनरावृत्ति - युद्धों की बारंबारता से बढ़ा देश में संघर्ष
मानवजनित आपदाओं की पुनरावृत्ति - युद्धों की बारंबारता से बढ़ा देश में संघर्ष
"तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आज़ादी दूंगा " नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के इस कथन को हम कैसे देखते हैं , कोई सोचता है खून देना है , कोई सोचते हैं बलिदान देना हैं , कोई कहते हैं अंग्रेजों से लोहा लेना है , तो कोई कहते हैं नेताजी के साथ खड़ा होना है । अलग -अलग विचारों का पुंज मिलकर अनेक विचारधाराओं को जन्म होता है । हमारा भारत देश आज़ाद हुआ तब चुनौतियां कोई एक सी नहीं थी , देश की बढ़ती जनसंख्या , उनका भरण पोषण और नीति निर्धारण , राष्ट्र को गति देना बिल्कुल भी आसान काम नहीं रहा होगा। मुश्किल दौर से गुजरने के लिए हजारों -लाखों लोगों ने इस देश को अपनी पूरी ताक़त से खड़ा किया क्योंकि अंग्रेजों के दिए दंश यूं ही जमें पड़े थे।
वह दौर तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के लिए चुनौतीपूर्ण दौर था , एक तरफ़ देश को खड़ा करें दूसरी चीन का आक्रामक रवैया भारत के लिए एक बड़ी मुश्किल लेकर तैयार था। समय की सूझबूझ ने उन घावों को भरने का प्रयास ज़रूर किया हैं , देश आज तेजी से विकास की ओर प्रगतिशील हैं । देश के पूर्व प्रधानमंत्रियों के लिए जनसांख्यिकी विस्फोट, अशिक्षा , गरीबी , प्रशिक्षित कामगारों की कमी, राज्यों के आपसी संघर्ष , विदेशी असहयोग , तकनीकी अभाव , अकाल , प्राकृतिक और मानवजनित आपदाओं की पुनरावृत्ति तथा युद्धों की बारंबारता ने संघर्ष की स्थिति को पैदा किया और सुचारू शासन में अनेक गतिरोध आने से देश के विकास में बड़ी बाधाएं उत्पन्न हुई । उसके बावजूद भारत हरित क्रांति , दुग्ध क्रांति, औद्योगिक इकाइयों की स्थापना , बैंकों का राष्ट्रीयकरण , भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन , डीआरडीओ , आई आई टी जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों की स्थापना करने में सफल रहा जो कि देश की जनता के आगे बढ़ने के लिए उम्मीद की किरण जगाई।
इंदिरा गांधी के प्रधानमंत्रित्व दौर में एक तरफ भारत के हस्तक्षेप ने बांग्लादेश का उद्भव किया वहीं सिक्किम भारत का पूर्णतः राज्य बनने में सफल रहा। इंदिरा के ही प्रयासों से मिजोरम भारत से पृथक होने में असफल रहा । उन्हीं के शासन में लोकतंत्र के लिए एक कड़वा दौर भारत की जनता ने देखा जो कि आज भी लोग उसे भूले भुलाते नहीं है । खालिस्तान बनने से रोकने का श्रेय भी इंदिरा गांधी की नीतियों को ही जाता है । इंदिरा गांधी की नृशंस हत्या के उपरांत दंगों के उद्भव ने देश को एक ऐसे अंधेरे की तरफ मोड़ दिया जिसका खामियाजा जनता को आज भी भुगतना पड़ता है।
राजीव गांधी के दौर में भारत में तकनीकी शिक्षा को बढ़ावा मिलना और देश के आम नागरिकों की आवाज़ को सुना जाना संभव हुआ । वहीं 1990 का दशक भारत के लिए आर्थिक सुधारों वाला साबित हुआ जिसमें देश को एक ऐसे अर्थशास्त्री मनमोहनसिंह वित्त मंत्री के रूप में मिले परिणामस्वरूप भारत आर्थिक प्रगति में तेज़ी से आगे बढ़ा । पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपई और पंडित जवाहरलाल नेहरू की आंशिक राजनीतिक भूलों की वजह से क्रमशः तिब्बत चीन का अंग बन गया और अक्षाई चिन भारत से चीन ने जबरन छिन लिया ।
मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्री रहते भारत ने अब तक सबसे अधिक जीडीपी दर को हासिल किया वहीं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आते ही 370 धारा को खत्म कर संविधान के समक्ष आने वाली एक बड़ी दुविधा को खत्म किया। वर्तमान दौर में मोदी के समक्ष बहुत बड़ी चुनौतियां हैं देश के युवाओं को रोजगार प्रदान करना , देश में धर्मांधता , जातिवाद के बढ़ते प्रभाव से हालिया कुछ ऐसी घटनाएं घटी हैं जिनका जवाब प्रधानमंत्री और उनकी सरकार के पास नहीं है । प्रधानमंत्री और बड़े नेताओं के भाषणों का दूरगामी असर देश की जनता पर पड़ता है और वैसा ही वातावरण देश में पैदा होता है। देश आज वृहत स्तर पर औद्योगिक , सेवाओं और कृषि क्षेत्र में आगे बढ़ रहा है मगर जनसंख्या को बोझ न समझकर उसे गुणवत्तापरक बनाने के लिए रोजगार सृजन के अनेक मोर्चों पर तीव्र गति से काम करने की आवश्यकता है । धर्म अफीम के रूप में एक ऐसा धीमा ज़हर है जो देश की जनता को अराजकता की ओर ले लाने में सक्षम है , उससे पहले ही स्थिति को सामान्य करने के प्रयास पुख्ता करने चाहिए ।
राजस्थान के उदयपुर में कन्हैया लाल की धर्मांधों द्वारा सरेआम हत्या और जालोर के सायला में प्रधानाध्यापक द्वारा छूआछूत के नाम पर मारपीट फलस्वरूप स्कूली दलित बच्चे की मौत स्वीकारने योग्य नहीं है । हमें अभी भी आजादी को जीने नहीं आया है , एक दूसरे के प्रति फैलती नफ़रत की देश में कहीं कोई जगह नहीं है। हम कोशिश करें कि देश एकजुट रहे , अपने आपसी मतभेद को सुलझाने का प्रयास करें और आपस में एक सकारात्मक वातावरण पैदा करें और आज़ादी के लाभ देश के उन लोगों तक भी पहुंचने दे जहां तक इसकी महक अब तक नहीं गई है ।
रक्षित परमार , उदयपुर ( राजस्थान )
युवा लेखक
9664424832
टिप्पणियाँ