महिला पहलवानों की सुरक्षा के लिए क्यों आगे आया सुप्रीम कोर्ट?
सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद आज दुष्कर्म के आरोपी बृजभूषण के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई है, यह कितना शर्मनाक है कि देश के नामचीन अंतरराष्ट्रीय पहलवानों को एक एफआईआर दर्ज करवाने के लिए सुप्रीम कोर्ट तक जाना पड़ा है। सरकार की यह प्रवृत्ति संविधान के समक्ष एक बड़ी चुनौती है , जनता को चाहिए कि वो संविधान की सुरक्षा करने के लिए अपना कर्तव्य सही तरीके से निभाएं। तानाशाही को चुनोगे तो इस तरह की तानाशाही झेलने के लिए तैयार भी रहना चाहिए। आम आदमी के लिए यह एक असंभव सा काम है कि वो अपनी सुरक्षा को सुनिश्चित कर सकें। दिल्ली के साकेत में एक महिला को एक व्यक्ति कोर्ट में ही गोलियों से भून देता है। देश के सभी कोर्ट परिसर संविधान के संरक्षक हैं, देश की जनता के रक्षक है और उस जगह पर ही कोई नागरिक एक अपराधी द्वारा गोलियों से भून दिया जाता है, सोचिए यह कितना शर्मनाक है कि इस पर कोई देशव्यापी एक्शन नहीं लिया जाता है। हमारे कोर्ट परिसरों की सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम होने चाहिए क्योंकि यहां न्यायाधीशों , अधिवक्ताओं, स्टाफ और नागरिकों की सुरक्षा एक गंभीर मसला है इसे हल्के में लेना संविधान के प्रति निष्ठ...