कवि मित्र समूह द्वारा त्रिभाषी काव्य गोष्ठी का आयोजन

कविमित्र समूह ( राज.) उदयपुर द्वारा महाराणा प्रताप जयंती पर सोमवार , 22 मई को त्रिभाषी काव्यगोष्ठी का आयोजन सेक्टर तीन में किया गया जिसमें कवियों ने अपनी रचनाओं से प्रताप को श्रद्दासुमन अर्पित करने के साथ राजस्थानी , हिंदी और उर्दू में अनेक कविताओं के वाचन से श्रोताओं का मन मोह लिया .शकुंतला सरूपरिया द्वारा सरस्वती वंदना से प्रारंभ गोष्ठी में सर्वप्रथम चिंतक व कवि अशोक जैन 'मंथन' ने प्रश्ननाकुल होकर पूछा ,'मन को समझा किसने अब तक / कितना है ये मासुम बोलो ?' तत्पश्चात शहर की शान डा. ज्योतिपूंज ने आव्हान किया ,' विश्व में मेवाड़ की स्वर्णिम धरा के गीत गाओ/ ये धरोहर गुनगुनाओ ये धरोहर गुनगुनाओ.' वरिष्ठ कवि रामदयाल मेहरा ने आज के समय की कैफियत को बयां करती गजल ,' वैसे कोई विवाद नहीं है / फिर भी कोई संवाद नहीं है' तथा राजस्थानी गीत सुनाकर रंग जमा दिया . जयपुर से आई सुमन आशीष ने ,' सहरा सहरा बांटा मैंने अपना पानी / अब मुश्किल लगता है मेरा दरिया रहना ' सुनाकर सबको भावुक कर दिया . शैलेद्र सुधर्मा में प्रताप का स्मरण करते हुए कहा ,'प्रताप सब याद करते है आपके शौर्य की / मैं बात करूंगा आपके संवेदनशील मानवीय रूप की ' और ' देख दुनिया को क्यूं हैरां हुआ जाता है / सोचा अनसोचा सब यहां हुआ जाता है ' गजल सुनाई .बहुमुखी प्रतिभा शकुतंला सरूपरिया 'शकुन' ने, 'तुम्हारे दुख - वेदनाएं पिया बेदाम हर लुंगी / मैं अपनी धड़कने सब तुम्हारे नाम कर लुंगी ' जैसे सरस गीतों को प्रस्तुत किया .अंत में मुख्य आकर्षण जोधपुर से आये सुप्रसिद्ध कवि दिनेश सिंदल ने, 'तुमने दुनिया भर को चाहा मैंने चाहा बस तुमको / यूं भी मैं रिश्तों की एक स्कूल बनाता गया'' जैसे अनेक गजल - गीत सुनाकर उपस्थित राजेद्र सरूपरिया आदि श्रोताओं को भावविभोर कर दिया. गोष्ठी का संचालन शकुतंला सरूपरिया ' शकुन ' ने किया तथा कविमित्र समूह के संस्थापक शैलेद्र सुधर्मा ने धन्यवाद प्रेषित किया .

टिप्पणियाँ

Unknown ने कहा…
सभी कविमित्रों से मिलना बहुत सुखद रहा....आदरणीय शैलेन्द्र सुधर्मा जी की मेजबानी तथा आ. शकुंतला जी के संचालन में आदरणीय दिनेश सिंदल जी सहित सभी को सुनना बहुत प्रेरक और रोमांचक रहा । मैं सभी महानुभावों से मैं पहली बार मिल रही थी,,,आ.मेहरा जी ने यह अवसर दिया उन्हें बहुत आभार.

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