समवेत पत्रिका के 20वें अंक और संस्थान की वेबसाइट का विमोचन समवेत ध्वनि
समवेत पत्रिका के 20वें अंक और संस्थान की वेबसाइट का विमोचन
समवेत ध्वनि संस्थान, उदयपुर की पत्रिका के 20वें अंक और संस्थान की वेबसाइट का लोकार्पण समारोह सुखाड़िया विश्वविद्यालय के सामाजिक विज्ञान एवं मानविकी महाविद्यालय के सभागार में हुआ।
पत्रिका के संपादक डॉ. नवीन नंदवाना ने बताया कि कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आई.वी. त्रिवेदी ने की। इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय के अधिष्ठाता स्नातकोत्तर अध्ययन प्रो. नीरज शर्मा थे। लोकार्पण समारोह में विशिष्ट अतिथि प्रो. सी.आर. सुथार, अधिष्ठाता, सामाजिक विज्ञान एवं मानविकी महाविद्यालय, प्रो. प्रदीप त्रिखा, मानविकी संकाय अध्यक्ष, प्रो. सुरेंद्र कटारिया, सामाजिक विज्ञान संकाय अध्यक्ष, प्रो. हेमंत द्विवेदी, दृश्यकला संकाय अध्यक्ष और हिंदी विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. माधव हाड़ा थे।
कार्यक्रम में ऑनलाइन माध्यम से अध्यक्ष के रूप में बोलते हुए कुलपति प्रो. त्रिवेदी ने कहा कि शोध पत्रिकाएँ विश्वविद्यालयों में अपनी महती भूमिका रखती हैं। समवेत का निरंतर प्रकाशन और प्रसार हमारे लिए गर्व का विषय है।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता प्रो. नीरज शर्मा, अधिष्ठाता, स्नातकोत्तर अध्ययन ने समवेत की यात्रा पर विचार व्यक्त करते हुए कहा कि यह पत्रिका हिंदी के प्रचार-प्रसार और शोध की दिशा में अपना विशेष महत्त्व रखती है। इस प्रकार के प्रकाशनों से हमारा शोध और उसके निष्कर्ष दूर तक पहुँचते हैं और स्थायी महत्त्व रखते हैं।
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि प्रो. हेमंत द्विवेदी, अध्यक्ष, दृश्यकला संकाय ने समवेत पत्रिका के आलेखों के स्तर के साथ-साथ उसके आवरण चित्रों की महत्ता का रेखांकन किया। उन्होंने कहा कि यह पत्रिका बाह्य आवरण की सज्जा और लेखों की गुणवत्ता दोनों का सामंजस्य है।
विशिष्ट अतिथि प्रो. प्रदीप त्रिखा, अध्यक्ष मानविकी संकाय ने अपने उद्बोधन में कहा कि इस पत्रिका का यूजीसी केयर लिस्ट में होना विश्वविद्यालय के नेक (NAAC) मूल्यांकन में भी अपना योगदान देगा। पत्रिका का लगातार 10 वर्षों तक निरंतर प्रकाशित होना गौरव का विषय है।
कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में बोलते हुए सामाजिक विज्ञान संकाय के अध्यक्ष प्रो. सुरेंद्र कटारिया ने कहा कि लिखना ब्रह्म पूजा के समान है। इसके लिए बहुत तपस्या, मेहनत, ईमानदारी एवं समर्पण की आवश्यकता होती है। समवेत में हम इन सबका समन्वय देख सकते हैं।
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि प्रो. माधव हाड़ा ने वर्तमान परिदृश्य में हिंदी विषय में हो रहे शोध और उसकी गुणवत्ता पर विचार व्यक्त करते हुए समवेत पत्रिका को शोध के विविध आयामों पर खरा उतरने वाली पत्रिका बताया। उन्होंने कहा कि किसी भी पत्रिका की साख के लिए जरूरी है कि संपादक न्यूनतम समझौता करे। समवेत ने इन वर्षों में अपनी यह साख बनाई है।
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि और अधिष्ठाता प्रो. सी.आर. सुथार ने कहा कि पत्रिका का स्तरीय होना चिंतन के विकास में अपना योगदान देता है। समवेत इस दिशा में अपने पहले ही अंक से कार्य कर रही है। समवेत के प्रबंधन मंडल में ऐसे विद्वानों का चयन है जो कि शोध की दिशा में संपूर्ण देश में अपना अहम स्थान रखते हैं।
इससे पूर्व पत्रिका के संपादक और हिंदी विभाग के सह आचार्य डॉ. नवीन नंदवाना ने समवेत की विकास यात्रा पर बोलते हुए कहा कि समवेत का प्रसार आज देशभर में है। हमने 2013 से जो यात्रा आरंभ की उसके माध्यम से आज तक देश के 22 राज्यों और 04 केंद्रशासित प्रदेशों के लेखकों के आलेख इसमें प्रकाशित हो चुके हैं। अब तक इस पत्रिका ने 300 से अधिक शोधपत्र प्रकाशित किए हैं। उन्होंने कहा कि पत्रिका के सभी अंक आज लोकार्पित हुई समवेत ध्वनि संस्थान की बेवसाइट पर शोधार्थियों के लिए उपलब्ध हैं।
कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के कई विभागाध्यक्ष, संकाय सदस्य और शोधार्थी-विद्यार्थी उपस्थित रहे। कार्यक्रम के अंत में डॉ. आशीष सिसोदिया ने आभार व्यक्त किया तथा कार्यक्रम का संचालन वीरमाराम पटेल ने किया।


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