ग्रामीण महिला उद्यमियों को मिलें शहरी प्रोत्साहन

 ग्रामीण महिला उद्यमियों को मिलें शहरी प्रोत्साहन 


देश की अर्थव्यवस्था में महिलाओं के योगदान को नकारा नहीं जा सकता , अब इस दौड़ में ग्रामीण महिलाएं भी पीछे नहीं रहना चाहती हैं। हैंड इन हैंड इंडिया एक अंतरराष्ट्रीय संस्थान है जो महिलाओं के सशक्तिकरण में एक बड़ी भूमिका निभा रहा है। राजस्थान के उदयपुर क्षेत्र में संस्थान ने विगत एक साल से क्रेडिट प्लस , राइज अप और सिडबी प्रोजेक्ट के तहत ग्रामीण महिलाओं को रोजगार मुहैया करवाने में सहयोग किया है । संस्थान द्वारा उदयपुर और सिरोही जिले में वर्मी कम्पोस्ट की 50 युनिट स्थापित करवाई गई हैं । युनिट के तहत केंचुए , त्रिपाल , प्रशिक्षण और कंपोस्ट का मूल्यवर्धन कर ग्रामीण महिलाओं को उद्यमशीलता की ओर बढ़ाने में मदद की है ‌। 


संस्थान ने जुलाई 2021 से 40 किलो केंचुए लगभग आधे टन आकार की प्रति युनिट बनवाकर महिला किसानों की आय में अप्रत्याशित वृद्धि दर्ज करवाई है। इस आकार की 50 युनिट के माध्यम से स्थानीय 1000 महिला किसानों तक लाभ पहुंचाने का सामूहिक प्रयास किया गया है । अब महिलाएं वर्मी कम्पोस्ट , केंचुए , वर्मी वाश बेचकर अच्छी आय सृजित कर रही है। साथ ही केंचुआ खाद बनाने का प्रशिक्षण भी देती हैं । वर्मीकम्पोस्ट की खाद बनाकर ग्रामीण महिलाएं स्थानीय स्तर पर जलवायु परिवर्तन को रोकने में भी आगे आ रही हैं । संस्थान ने युनिट स्थापित करने के अलावा एंटरप्राइज डेवलपमेंट , बिज़नेस मैनेजमेंट , मार्केट लिंकेज, कृषि महाविद्यालय , कृषि विज्ञान केंद्रों में एक्सपोजर विजि़ट्स , डिजिटल लिटरेसी और सरकारी योजनाओं का वित्तीय समावेशन करके महिलाओं को नवाचार के लिए प्रेरित किया है । 



हाल ही में कृषि विभाग, उदयपुर की मदद से आत्मा ( एग्रिकल्चरल टेक्नोलॉजी मैनेजमेंट एजेंसी ) ने हैंड इन हैंड इंडिया की ज्वॉइंट लाइबेलिटी मेंबर लीला डांगी , कनी बाई और रेखा गमेती को क्रमशः जिला स्तर व ब्लॉक स्तर पर सम्मानित किया है । संस्थान की पहल से ही विभाग द्वारा कृषि में नवाचार , सब्जी उत्पादन और जैविक खेती के लिए इन महिला सदस्यों को सम्मानित किया गया हैं। इस दौरान इन सदस्यों के सीधे खाते में क्रमश 25,000, 10,000 और 10,000 रूपए की धनराशि पुरस्कार के रूप में प्रदान की गई है ‌। इन ग्रामीण महिला उद्यमियों द्वारा उत्पादित वर्मी कम्पोस्ट की प्रति इकाई से औसतन 3200 रूपये की मासिक आय होती है जिसमें वे खाद , केंचुए, वर्मीवाश और कम्पोस्ट टी बेचती हैं। संस्थान द्वारा उदयपुर जिले में न केवल फार्म आधारित गतिविधियों पर कार्य किया जा रहा है बल्कि नॉन फॉर्म एक्टिविटिज के तहत भी मशाला पैकिंग , अगरबत्ती निर्माण, ऑर्गेनिक ऐलो जेल निर्माण ,ऐलो विरा ज्यूस , मक्का के पापड़ , बेग्स, कपड़ों की सिलाई जैसे कार्य किए जा रहे हैं । 


संस्थान स्टेकहोल्डर्स के सहयोग से भी महिला सदस्यों को लाभान्वित करने का प्रयास कर रहा है। ग्रामीण महिला उद्यमियों को शहरी क्षेत्रों से प्रोत्साहन मिलें, कृषि और ग्रामीण उत्पादों का वैल्यू एडिशन हो ,स्किल आधारित प्रशिक्षण मिलें , बैंकिंग सहयोग बढ़े , मार्केट लिंकेज और डिजिटल मार्केटिंग के जरिए मुख्यधारा में लाने का समन्वित प्रयास किया जा रहा है । ऐसे में स्वयंसेवी तकनीकी विशेषज्ञों को ग्रामीण महिलाओं की तकनीकी मदद के लिए आगे आना चाहिए । देश भर में अब एनजीओ को आजीविका के क्षेत्र में काम करने की आवश्यकता है । रोजगार सृजन के माध्यम से समाज की बड़ी समस्याओं को कम किया जा सकता है । जो संस्थान इस दिशा में सेवारत हैं वे देश के कमजोर लोगों को रोजगार से जोड़कर उन्हें पलायन से रोकते हैं , उन्हें भखमरी से बचाते हैं साथ ही लोगों में आत्मनिर्भरता बढ़ाने का काम कर सकते हैं । हैंड इन हैंड इंडिया संस्थान का मुख्य उद्देश्य महिलाओं को जेंडर इक्वालिटी , वित्तीय प्रबंधन , डिजिटल लिटरेसी , वित्तीय समावेशन , महिला साक्षरता, आजीविका सृजन , स्वास्थ्य सूचकांक , कचरा प्रबंधन के मामले में सुधार लाना हैं और उन्हें दक्ष बनाना हैं ।



रक्षित परमार , उदयपुर 

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