हादसे और अनहोनी में धंसता जनमानस
हर साल धार्मिक यात्राओं में कितने कुछ लोग मरते हैं ! पैदल यात्री, सड़क दुर्घटनाएं, बस पलटने से , साधनों की आपसी भिड़ंत, पैदल यात्रियों को कुचलने, अमरनाथ यात्रा के दौरान लोग खूब परेशानी झेलते हैं, उसमें से कुछ अपनी जान से हाथ धोते हैं। देश के कोने -कोने में कोई न कोई हताहत करने वाली दुर्घटनाएं सामने आती रहती हैं, उसके बारे में कोई भी बाबा या इस किस्म का कोई भविष्यवाणी कर्ता लोगों को चेतावनी नहीं दे पाता है। हमारी आस्था , श्रद्धा, विश्वास , भक्ति और प्रेम की चाहत अनेक लोगों का जीवन छीन लेती है। चंबल नदी में नांव पलटने की घटनाएं हो , अमरनाथ यात्रा पर बादल फटने से सैंकड़ों के मरने की घटना हो , भूस्खलन से यात्रियों के मलबे में दबने की बात हो या अतिवृष्टि, बाढ में बह जाने, अफवाहों से भगदड़ मचने से खूब लोग मारे जाते हैं। उत्तराखंड त्रासदी जैसी जाने कितनी घटनाएं हर साल होती हैं। हम बस देखते रहते हैं, आमतौर पर कहते रहते हैं कि भाई हरि इच्छा प्रबल और स्थानीय प्रशासन, जिम्मेदार लोगों को वहीं छोड़ दिया जाता है फिर ऐसी घटनाएं घटती रहती है। चाहे तो अच्छी व्यवस्थाएं कायम कर सकते हैं, इतना बड़ा देश ह...